23 मार्च: शहीद दिवस, जानिए आज का इतिहास, क्यों मनाते हैं शहीद दिवस

अब हम सभी एक स्वतंत्र देश में रहते हैं, मगर देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत से वीर सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इस बलिदान के कारण ही देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश शासन के दौरान 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। उस दिन, वह तारीख इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। इसके बाद से 23 मार्च को देशभर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब प्रांत के लाईपुर जिले के बागा में हुआ था। जब 1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा की, तो देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी भगत सिंह का अहिंसात्मक विचारधारा से मोहभंग हो गया।फिर उन्होंने 1926 में देश की स्वतंत्रता के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की। 28 सितंबर 1907 को जन्मे भगत का पूरा जीवन ही 23 साल और चंद महीने का रहा। इतने कम जीवनकाल में किए गए करतब आज भी याद किए जाते हैं। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का उनका नारा बहुत प्रसिद्ध हुआ।

शहीदी दिवस पर देशभक्ति से भरे शहीद भगत सिंह के कुछ देशभक्तिपूर्ण विचारों को पढ़ें।
  • मानव जाति क्रांति के अपने अपरिहार्य अधिकार से अपने स्वतंत्रता के जन्मसिद्ध अधिकार को हासिल कर सकती है। एक क्रांति ही समाज में बदलाव लेकर आती है।
  • पिस्तौल और बम क्रांति नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
  • व्यक्तियों को मारना आसान है लेकिन आप विचारों को मार नहीं सकते।
  • जिंदगी को अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
  • यदि बहरों को सुनना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा ध्येय किसी को मारना नहीं था।
  • राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
  • किसी ने सच ही कहा है, सुधार बूढ़े आदमी नहीं कर सकते। वे तो बहुत ही बुद्धिमान और समझदार होते हैं। सुधार तो होते हैं युवकों के परिश्रम, साहस, बलिदान और निष्ठा से, जिनको भयभीत होना आता ही नहीं और जो विचार कम और अनुभव अधिक करते हैं।
  • निर्दयी आलोचना और स्वतंत्र सोच क्रांतिकारी सोच के दो लक्षण हैं। प्रेमी, चाटुकार और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।
  • मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के आकर्षण से भरा हुआ हूं। लेकिन जरूरत के समय मैं सब कुछ त्याग सकता हूं।
  • वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचल नहीं पाएंगे।
भारत में कई तिथियों को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 30 जनवरी : 30 जनवरी को मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या को चिह्नित करने के लिए भारत में शहीद दिवस मनाया जाता है।
  • 23 मार्च : भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश शासन के दौरान 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। उस दिन, वह तारीख इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। इसके बाद से 23 मार्च को देशभर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
  • 21 अक्टूबर : 21 अक्टूबर को पुलिस शहीद दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। इसे पुलिस शहीद दिवस भी कहा जाता है। 21 अक्टूबर को भारत-तिब्बत सीमा पर चीनी सेना द्वारा CRPF पर घात लगाकर हमला किया गया था।
  • 17 नवम्बर : 17 नवंबर को, ओडिशा सरकार द्वारा लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि मनाने के लिए शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 19 नवम्बर : 19 नवंबर को महाराष्ट्र में रानी लक्ष्मी भाई की जयंती मनाने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है।
  • 19 मई : 19 मई को बंगाली भाषा आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले 15 बंगालियों की याद में भाषा शहीद दिवस मनाया जाता है।
  • 27 मई : 27 मई को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि मनाने के लिए शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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