जमशेदपुर शहर का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। इस शहर का वर्तमान जितना समृद्ध है, उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प इसके बनने की कहानी है। आज का जमशेदपुर कभी ‘साकची’ नाम का एक छोटा आदिवासी गांव हुआ करता था, जिसकी एक बड़ी आबादी, पूर्ण रूप से यहां के वनों पर निर्भर थी। पर देखते ही देखते यह छोटा सा गांव भारत का एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र बन गया। यहां के कण कण में कहानियां छिपी हैं। आइए जानते है इतिहास की कुछ बातें।
- 27 अगस्त 1907 – दो करोड़ रुपये की पूंजी से टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना हुई थी।
- 27 फरवरी 1908 – कारखाना व शहर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था।
- वर्ष 1910 – जमशेदपुर की आबादी मात्र छह हजार थी।
- वर्ष 1910 – स्वर्णरेखा पर बांध तथा जल वितरण प्रारंभ किया गया।
- वर्ष 1911 – टिस्को में पहली बार पिंग आयरन का उत्पादन हुआ।
- वर्ष 1914 – शुरू प्रथम विश्वयुद्ध से कंपनी को विकास का बेहतर मौका मिला।
- वर्ष 1915 – यहां कर्मचारियों को मुफ्त चिकित्सा सेवा मिलनी शुरू हुई।
- वर्ष 1916 – मिसेज केएमपीएस स्कूल का शहर में शुभारंभ हुआ।
- वर्ष 1916 – कालीमाटी स्टेशन से बिष्टुपुर तक टाटा कंपनी ने दो बसों का संचालन किया था।
- वर्ष 1919 – साकची का नाम ‘जमशेदपुर’ तथा कालीमाटी स्टेशन का नया नामकरण ‘टाटानगर’ हुआ।
- वर्ष 1920 – श्री सनातन धर्म गौरक्षिणी सभा की स्थापना हुई जो आज श्री टाटानगर गौशाला है।
- वर्ष 1921 – जमशेदपुर टेक्नीकल इंस्टीच्यूट की स्थापना हुई थी।
- वर्ष 1922 – टिस्को में कर्मचारियों ने हड़ताल की थी।
- वर्ष 1923 – टीनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया जमशेदपुर में उत्पादन शुरू हुआ था।
- वर्ष 1924 – वर्तमान टिस्को डेयरी फार्म का प्रारंभ मॉडल डेयरी फॉर्म के नाम से भूतपूर्व पुलिस निरीक्षक जेएच नोलैंड ने किया था।
आज जमशेदपुर एक प्रगतिशील नगर बन कर उभरा है, जिसने झारखंड को एक नई पहचान दी है।