Bharucha Mansion, जिसे Regal Building के नाम से भी जाना जाता है, जमशेदपुर का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक है। यह इमारत आज भी शहर के प्रमुख स्थल के रूप में खड़ी है, जो न केवल अपने वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसने शहर के विकास और परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह इमारत जमशेदपुर के पहले सिनेमा हॉल, Regal Talkies का घर भी रही है और आज भी अपने भव्य रूप में खड़ी है, जो हर किसी का ध्यान आकर्षित करती है।

नामकरण और मालिक:
Bharucha Mansion का नाम खुर्शीद मानेकजी भरूचा के नाम पर रखा गया है, जो टाटा स्टील (तत्कालीन TISCO) के पहले भारतीय चीफ कैशियर थे। उन्होंने इस इमारत का निर्माण करने का विचार किया, ताकि पारसी युवाओं को आवास मिल सके जो टाटा स्टील में काम के लिए जमशेदपुर आए थे। उनकी दूरदर्शिता और समाजसेवी दृष्टिकोण ने इस इमारत को जन्म दिया। भरूचा का उद्देश्य था कि युवा पारसी परिवारों को एक ऐसा स्थान मिले, जहाँ वे अपने जीवन की शुरुआत कर सकें और इस दौरान सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का आनंद ले सकें।
निर्माण और डिजाइन:
Bharucha Mansion का निर्माण 1935 में हुआ और यह शहर की सबसे प्रतिष्ठित इमारतों में से एक बन गई। इसका डिज़ाइन बहुत ही अनोखा और आकर्षक था। यह इमारत पोलिगोनल (बहु-कोणीय) वास्तुकला में बनाई गई थी, जो उस समय की एक विशेष शैली थी। इस इमारत के निर्माण में हावड़ा ब्रिज से बची हुई स्टील बीम का उपयोग किया गया था, जो TISCO द्वारा उपलब्ध कराई गई थीं। इस पर काम करने वाले वास्तुकार थे A. Dinshaw (एक पारसी) और C.C. Bayigle (ब्रिटिश)। इमारत की संरचना मुख्य रूप से स्ट्रक्चरल स्टील से बनाई गई थी और इसे ईंटों से लिपाई की गई थी। इसके विभाजन दीवारें “Surki” (चूना और ईंट का मिश्रण) से बनाई गई थीं, जो उस समय की अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं की तरह ही थीं।
रिगल टॉकिज़ और नामकरण:
यह इमारत Regal Mansion के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इसमें Regal Talkies (एक सिनेमा हॉल) था, जो जमशेदपुर का प्रमुख सिनेमाघर बन गया था। यहां पर कई सालों तक दर्शकों को बॉलीवुड और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों का आनंद लेने का मौका मिलता था। यही कारण था कि इसे Regal Building के नाम से जाना जाने लगा। Regal Talkies ने जमशेदपुर में फिल्म प्रेमियों को एक शानदार सिनेमाई अनुभव प्रदान किया और यह लंबे समय तक शहरवासियों के लिए एक प्रमुख मनोरंजन स्थल बना रहा।
निर्माण का साहसिक निर्णय:
यह इमारत उस समय के जमशेदपुर के लिए एक साहसिक कदम था। 1930 के दशक में यह इलाका बहुत ही सुनसान था, और यहां केवल Bank of India, Burmah Shell petrol pump, और Tiwary Bechar जैसी संस्थाएँ ही स्थित थीं। टाटा स्टील के जनरल मैनेजर ने भरूचा से पूछा था कि क्या वह अपनी योजना बदल कर उस समय के अधिक व्यस्त क्षेत्र (जैसे सर्किट हाउस क्षेत्र) में निर्माण करना चाहेंगे, लेकिन खुर्शीद मानेकजी भरूचा ने अपने निर्णय पर दृढ़ रहते हुए इस स्थान को चुना। उनका यह साहसिक कदम आज जमशेदपुर के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है। यह इमारत आज भी शहर के एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में खड़ी है, जो न केवल अपने निर्माण और वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि यह साहस और दूरदर्शिता का भी प्रतीक है।

पहला शॉप और व्यापारिक केंद्र:
Bharucha Mansion का एक और अहम पहलू यह था कि इस इमारत में जमशेदपुर का पहला व्यापारिक केंद्र और शॉप खुला। 1950 के दशक में यहाँ पहली दुकान स्थापित हुई, जिसने इस इमारत को व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया। इमारत के भीतर विभिन्न प्रकार की दुकानों का निर्माण हुआ और यह धीरे-धीरे शहर के व्यावसायिक और सामाजिक जीवन का अहम हिस्सा बन गया। इसके साथ ही इस इमारत ने जमशेदपुर की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दिया और शहर के वाणिज्यिक केंद्र के रूप में पहचाना जाने लगा।
एंटीक पीस और संग्रह:
Bharucha Mansion का एक अन्य रोचक पहलू यह था कि इसमें कई एंटीक पीस और संग्रह रखे गए थे। इन संग्रहों में पुराने फिल्म पोस्टर, आर्ट डेको लाइटिंग और सजावटी फर्नीचर शामिल थे, जो उस समय के साम्राज्यवादी और कला शैलियों को दर्शाते थे। इन ऐतिहासिक और कलात्मक वस्तुओं ने इस इमारत को सिर्फ एक भवन ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर बना दिया। आज भी इमारत में इन एंटीक पीस को देखा जा सकता है, जो जमशेदपुर के सांस्कृतिक इतिहास को जीवित रखते हैं।
नया रूप और पुनर्निर्माण:
समय के साथ, Bharucha Mansion का पुनर्निर्माण किया गया और इसे अब एक आधुनिक रूप में ढाला गया है। हालांकि, इसकी ऐतिहासिक और वास्तुकला की विशेषताएँ संरक्षित रखी गई हैं। पुनर्निर्माण के दौरान इस इमारत में आधुनिक सुविधाएँ जोड़ी गईं, जबकि पुरानी शैली को बरकरार रखा गया। यह इमारत अब व्यापारिक, आवासीय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में कार्य कर रही है। इस पुनर्निर्माण ने इमारत को एक नया जीवन दिया है, और यह अब भी जमशेदपुर के एक प्रमुख आकर्षण के रूप में खड़ी है।
विरासत और आज की स्थिति:
Bharucha Mansion आज भी Bistupur से Northern Town की तरफ प्रवेश करते हुए एक विशाल इमारत की तरह खड़ी है। यह इमारत न केवल अपने निर्माण और वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसे शहर की सबसे प्रतिष्ठित संरचना के रूप में जाना जाता है। आज भी Adil Gazder, खुर्शीद मानेकजी भरूचा के पोते, जब इस इमारत को देखते हैं, तो उन्हें एक गर्व का अहसास होता है। भरूचा परिवार इस इमारत को अपनी ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करता है और यह आज भी जमशेदपुरवासियों के लिए गर्व का कारण बनी हुई है।
प्रमुख विशेषताएँ और निर्माण के दौरान का साहस:
- निर्माण वर्ष: 1935
- निर्माण सामग्री: हावड़ा ब्रिज से बची हुई स्टील बीम, स्ट्रक्चरल स्टील, ईंट और “Surki” (चूना और ईंट का मिश्रण)
- वास्तुशिल्प: पोलिगोनल डिजाइन, आर्ट डेको शैली
- रिगल टॉकिज़: शहर का प्रमुख सिनेमा हॉल, जो बाद में बंद हो गया
- पहला शॉप: 1950 के दशक में खोला गया, व्यापारिक केंद्र का विकास हुआ
- एंटीक पीस: पुराने फिल्म पोस्टर, आर्ट डेको लाइटिंग और सजावटी फर्नीचर
- नया रूप और पुनर्निर्माण: आधुनिक सुविधाओं के साथ पुनर्निर्माण, ऐतिहासिक शैली का संरक्षण
निष्कर्ष:
Bharucha Mansion (Regal Building) न केवल एक इमारत है, बल्कि यह जमशेदपुर के इतिहास, साहसिकता और विकास का प्रतीक है। खुर्शीद मानेकजी भरूचा ने जिस साहसिकता और दूरदर्शिता से इस इमारत का निर्माण किया, वह आज भी शहरवासियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। यह इमारत ना केवल अपनी भव्यता के लिए जानी जाती है, बल्कि यह जमशेदपुर के इतिहास में एक अनमोल धरोहर के रूप में दर्ज है। इसके निर्माण के साथ ही यह शहर में एक नया अध्याय शुरू हुआ, जो आज भी हमें प्रेरित करता है।