भारतीय फिल्म जगत में कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर सिनेमा को नई दिशा दी है। इन्हीं में से एक नाम है संजीवन लाल का। फिल्म निर्देशक, लेखक और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता के रूप में उन्होंने न केवल बॉलीवुड में बल्कि टेलीविजन और डॉक्यूमेंट्री जगत में भी अपनी खास पहचान बनाई है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
संजीवन लाल का जन्म 18 जून 1965 को जमशेदपुर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा Loyola School, Jamshedpur और Sawan Public School, New Delhi से प्राप्त करने के बाद उन्होंने Kirori Mal College, Delhi University से स्नातक किया। कॉलेज में उन्होंने “The Players” ड्रामेटिक सोसाइटी के सदस्य के रूप में सक्रिय भागीदारी की।
स्नातक के बाद उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई शुरू की, लेकिन 2.5 साल बाद उन्होंने अपनी रचनात्मक रुचि को प्राथमिकता देते हुए एक डॉक्यूमेंट्री वर्कशॉप जॉइन की, जो CENDIT, New Delhi द्वारा Indo-German Social Service Society के सहयोग से आयोजित की गई थी। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित Film and Television Institute of India (FTII), Pune में फिल्म निर्देशन में विशेषज्ञता प्राप्त की।
करियर की शुरुआत
1993 में FTII से स्नातक होने के बाद संजीवन मुंबई चले गए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत डॉक्यूमेंट्री और टेलीविजन एपिसोड्स के निर्देशन से की। उन्होंने Star Plus, Zee TV, Sahara TV जैसे चैनलों के लिए ‘Star Bestsellers’, ‘Rishtey’, ‘Raaz’, ‘Mujrim Kaun?’ जैसे चर्चित शोज़ का निर्देशन किया। ‘मुझरिम कौन?’ की कड़ी ‘खजाना’ को RAPA अवार्ड मिला जो रेडियो और टीवी विज्ञापन में उत्कृष्टता के लिए दिया जाता है।
डोक्युमेंट्री में विशेष योगदान
संजीवन लाल ने सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर कई डॉक्यूमेंट्रीज़ बनाई हैं:
- Vann Aur Jeevan – वन रक्षकों के जीवन पर आधारित।
- Is God Deaf? – धार्मिक शोर प्रदूषण पर आधारित डॉक्यूमेंट्री, जो IFFI 2004 के Indian Panorama में चयनित हुई थी।
- The Second Page – पुलिस हिरासत में विचाराधीन कैदियों की हत्या पर आधारित FTII की डिप्लोमा फिल्म, IFFI 1994 में चयनित।
- Chhau Mask Making – झारखंड सरकार के लिए।
- Electronic Voting Machine – भारत के चुनाव आयोग के लिए।
बबल गम: एक सराहनीय शुरुआत
2011 में उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म Bubble Gum का निर्देशन किया, जिसे आलोचकों और दर्शकों दोनों ने सराहा। राजीव मसंद ने इसे “2011 की 5 ज़रूरी फिल्मों” में स्थान दिया और हिंदुस्तान टाइम्स ने भी इसे वर्ष की श्रेष्ठ फिल्मों में शामिल किया। IMDb पर इसकी रेटिंग आज भी 7.3/10 है।
Eclectic Films की स्थापना
2017 में संजीवन ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी Eclectic Films की स्थापना की। इसके अंतर्गत वे नई सोच और अंतरराष्ट्रीय स्तर की डॉक्यूमेंट्रीज़ को आकार दे रहे हैं।
1947: Brexit India – एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण
उनकी नवीनतम डॉक्यूमेंट्री फिल्म 1947: Brexit India स्वतंत्रता से पहले और बाद के अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक दृष्टिकोण को उजागर करती है। फिल्म में बोमन ईरानी ने नैरेशन किया है और विशेषज्ञों की सूची में डॉ. शशि थरूर, विलियम डेलरिम्पल, डॉ. इश्तियाक अहमद, प्रो. टॉम टॉमलिन्सन, डॉ. डेविड ओमिसी जैसे नाम शामिल हैं।
इस फिल्म की शूटिंग लंदन, वेल्स, दिल्ली, मुंबई, प्लासी और मुर्शिदाबाद में की गई है। इसकी स्क्रिप्ट प्रसिद्ध लेखिका शामा ज़ैदी ने लिखी है, जिन्होंने गर्म हवा, शतरंज के खिलाड़ी जैसी फिल्मों के लिए लेखन किया है।
पुरस्कार और मान्यता
- RAPA Award – ‘खजाना’ एपिसोड के लिए।
- Is God Deaf? – IFFI 2004 और PSBT-UNESCO Documentary Festival में चयन।
- The Second Page – IFFI 1994 के लिए चयनित।
निष्कर्ष
संजीवन लाल की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो पारंपरिक रास्तों से हटकर अपने जुनून को अपनाना चाहते हैं। सामाजिक मुद्दों पर उनकी गहरी समझ, ऐतिहासिक तथ्यों की विवेचना और रचनात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक खास चेहरा बना दिया है।
अगर आप भी भारतीय सिनेमा की नई और प्रगतिशील सोच को समझना चाहते हैं, तो संजीवन लाल के काम को ज़रूर देखें – खासकर उनकी आने वाली डॉक्यूमेंट्री 1947: Brexit India।