Golpahari Mata Temple Jamshedpur: History, Importance, and How to Visit

गोलपहाड़ी माता मंदिर, जिसे पहाड़ी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड के जमशेदपुर शहर के परसुडीह क्षेत्र में एक मनोरम पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर देवी पहाड़ी माता को समर्पित है और अपनी उच्च स्थिति के कारण एक अत्यंत पवित्र और दिव्य स्थान माना जाता है।

कहा जाता है कि इस मंदिर का अस्तित्व 1900 के आसपास से है और यह स्थानीय लोगों के बीच अत्यधिक श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बन चुका है। मंदिर की पवित्रता और शक्ति के कारण, यह पूजा-अर्चना के लिए विशेष रूप से स्थानीय निवासियों के बीच प्रमुख स्थलों में से एक है। भक्तों का मानना है कि माता गोलपहाड़ी उनकी हर मन्नत पूरी करती हैं, और यही कारण है कि मंदिर में आस्थावान भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। विशेष रूप से, नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है, जो माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

गोलपहाड़ी मंदिर, झारखंड के सबसे प्रसिद्ध और श्रद्धेय मंदिरों में से एक है, जो अपनी ऐतिहासिक महत्वता और धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता है। यहाँ आने वाले भक्तों को न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव मिलता है, बल्कि यह स्थान उन्हें शांति और आस्था की एक नई ऊर्जा भी प्रदान करता है।

Golpahari Mata Temple
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गोलपहाड़ी माता मंदिर का ऐतिहासिक संदर्भ

गोलपहाड़ी माता मंदिर का इतिहास बहुत ही दिलचस्प और रहस्यमय है। कहा जाता है कि 1900 के आस-पास, रामदई देवी नामक एक महिला अपनी बेटी यशोदा के साथ उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से जमशेदपुर आई थीं, जो उस समय साकची के नाम से जाना जाता था। वह अपनी बेटी के साथ पहाड़ी के नीचे एक छोटी सी झोपड़ी में रहने लगीं, जहाँ उन्होंने अपनी दिनचर्या शुरू की।

एक रात, रामदई देवी को एक अजीब और अद्भुत सपना आया, जिसमें देवी ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि पहाड़ी की चोटी पर एक पत्थर की मूर्ति है, जिसे उन्हें नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। सपना इतना सजीव और सच्चा था कि रामदई देवी ने इसे न केवल ध्यान से सुना, बल्कि इसे सच करने का संकल्प लिया। अगली सुबह जैसे ही सूर्योदय हुआ, रामदई देवी पहाड़ी की ओर चढ़ीं और एक पेड़ के नीचे उन्हें एक पत्थर दिखाई दिया, जिसमें दो आँखें खुदी हुई थीं। यह दृश्य देखकर रामदई देवी हैरान रह गईं, क्योंकि उनका सपना सच हो गया था।

इस चमत्कारी घटना के बाद, उन्होंने उस पत्थर की पूजा करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे वहां एक मंदिर का निर्माण हुआ। समय के साथ, यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल बन गया, जिसे हम आज गोलपहाड़ी माता मंदिर के नाम से जानते हैं। मंदिर की स्थापना और उसकी ऐतिहासिक महत्वता भक्तों के बीच विश्वास और आस्था का एक प्रतीक बन चुकी है।

Golpahari Mata Temple
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जल्द ही, रामदई देवी द्वारा माता की मूर्ति की पूजा करने की खबर स्थानीय लोगों में फैल गई और बड़ी संख्या में भक्त मंदिर आने लगे। कहते हैं कि रामदई देवी को देवी ने एक विशेष शक्ति दी थी, जिससे वह भक्तों का भाग्य सिर्फ उन्हें देखकर जान सकती थीं। लोग मानते थे कि रामदई देवी की दृष्टि से उनकी समस्याएं हल हो जाती थीं और उनकी पूजा का असर अद्वितीय था।

रामदई देवी ने 1938 तक माता पहाड़ी की नियमित पूजा की। इसके बाद, उनकी बहू शांति देवी ने यह जिम्मेदारी संभाली और 2004 तक माता की पूजा करती रहीं। शांति देवी ने न केवल पूजा का पालन किया, बल्कि मंदिर का विस्तार भी किया, जिससे यह स्थान और भी प्रमुख बन गया।आजकल, शांति देवी की बहू पुष्पा तिवारी इस मंदिर की देखभाल और पूजा-पाठ कर रही हैं। उनके पास रामदई देवी की एक मूर्ति भी है, जिसे वह श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करती हैं।

स्थानीय लोग अब भी मानते हैं कि देवी उन्हें उनके सपनों में दर्शन देती हैं, खासकर जब वे जीवन में किसी समस्या या संघर्ष का सामना कर रहे होते हैं। इस प्रकार, गोलपहाड़ी माता मंदिर की कहानी अब भी श्रद्धा, आस्था और दिव्य शक्ति का प्रतीक बनी हुई है, जो भक्तों के दिलों में गहरी आस्था और विश्वास का स्थान रखती है।

गोलपहाड़ी माता मंदिर के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां पूजा करने के लिए केवल महिला पुजारियों को ही अनुमति दी जाती है। यह विशेषता मंदिर को अन्य धार्मिक स्थलों से अलग बनाती है और इसे एक अद्वितीय पहचान प्रदान करती है।

मंदिर के अलावा, पहाड़ी पर कई अन्य धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जो इस स्थान को और भी पवित्र बनाते हैं। इनमें भगवान शिवजी का मंदिर, शीतला माता मंदिर, काली माता मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर, देवी दुर्गा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर और भगवान हनुमान मंदिर शामिल हैं। इन सभी मंदिरों में जाकर भक्त विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन कर सकते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं।

मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में, भक्तों को 5 मुख वाले हनुमान मंदिर और भगवान जगन्नाथ के मंदिर के दर्शन भी होते हैं, जो इस यात्रा को और भी धार्मिक रूप से समृद्ध बनाते हैं। इस स्थान ने समय के साथ अपने धार्मिक महत्व को बनाए रखा है और यह आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुका है, जहां लोग अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए आते हैं।

Golpahari Mata Temple
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You can visit these temples in Jamshedpur.

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गोलपहाड़ी माता मंदिर: एक आध्यात्मिक यात्रा और विशेष पूजा की परंपरा

गोलपहाड़ी माता मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 600 फीट की ऊंचाई चढ़नी पड़ती है, और इसके लिए उन्हें 200 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। चूंकि यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, यहां से पूरे शहर का दृश्य अत्यंत मनोरम और आकर्षक होता है। यह यात्रा न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी एक कदम होता है।

हर साल मई महीने में माता पहाड़ी की विशेष पूजा आयोजित की जाती है, जो पूरे पांच दिन तक चलती है। इस पूजा के दौरान माता नगर भ्रमण पर निकलती हैं और विभिन्न कालोनी के लोग उन्हें अपने क्षेत्र में लाकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। इस अवसर पर हजारों लोग माता के साथ भ्रमण करते हैं, और विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करने के बाद, माता पुनः मंदिर में प्रतिष्ठापित हो जाती हैं। यह विशेष पूजा 1954 से लोक कालोनी के लोग हर साल आयोजन करते आ रहे हैं, जो माता के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है।

Golpahari Mata Temple
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पहाड़ी के निचले हिस्से से लेकर शिखर तक भक्तों को कई छोटी-बड़ी दुकानें मिलती हैं, जहां से वे पूजा के लिए आवश्यक सामग्री खरीद सकते हैं। ये दुकानें स्थानीय लोगों द्वारा स्थापित की गई हैं, और यहां पूजा से जुड़ी हर सामग्री आसानी से उपलब्ध होती है।

यह स्थान केवल पूजा करने के लिए नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक सुकून प्राप्त करने के लिए भी एक प्रसिद्ध और आदर्श स्थल बन चुका है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित चट्टानें फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गई हैं, जहां से अद्भुत दृश्य और यादगार तस्वीरें ली जा सकती हैं। गोलपहाड़ी माता मंदिर न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि एक सुंदर यात्रा और जीवनभर की यादें भी देता है।

Golpahari Mata
Golpahari Mata

मंदिर के दर्शन का समय

गोलपहाड़ी माता मंदिर सुबह 5 बजे से 12 बजे तक खुला रहता है, इस समय भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं और पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इसके बाद, देवी को भोग अर्पित करने के लिए मंदिर कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है। फिर, मंदिर शाम 4 बजे से 7 बजे तक पुनः खुलता है, और इस समय भक्तों को फिर से माता के दर्शन और पूजा का अवसर मिलता है।

Monday5AM-12PM 4PM-7PM
Tuesday5AM-12PM4PM-7PM
Wednesday5AM-12PM4PM-7PM
Thursday5AM-12PM4PM-7PM
Friday5AM-12PM4PM-7PM
Saturday5AM-12PM4PM-7PM
Sunday5AM-12PM4PM-7PM
गोलपहाड़ी मंदिर तक पहुंचने का मार्ग

गोलपहाड़ी माता मंदिर, रेलवे स्टेशन और परसुडीह के बीच स्थित है, और यह स्थानीय परिवहन से बहुत अच्छे से जुड़ा हुआ है। मंदिर टाटानगर रेलवे स्टेशन के करीब स्थित है, जिसकी दूरी केवल एक किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा के माध्यम से मंदिर तक कुछ ही मिनटों में पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा, शहर के मुख्य बस स्टेशन से भी मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है, जिससे यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक सुलभ बनता है।

place  गोलपहाड़ी, परसुडीह, जमशेदपुर, झारखण्ड 831002
map  यहाँ क्लिक करें (Google Map)
language  https:
local_phone  +91 0000000000 / 0657 0000000

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