आज के भागमभाग भरे जीवन में, शांति का महत्व हर कोई समझता है। और जब बात शांति की हो, तो हर टेल्को निवासी के मन में सबसे पहले केवल एक ही स्थान उभरकर आता है – माता भुवनेश्वरी का दिव्य मंदिर।
यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जहाँ पहुंचते ही मन, शरीर और आत्मा को सुकून मिल जाता है। वहाँ का शांत वातावरण, मंत्रोच्चारण, अनुशासन और दिव्य ऊर्जा किसी को भी अपने मोहपाश में बाँध लेती है। कई लोग तो बताते हैं कि मंदिर का वातावरण इतना पवित्र और आकर्षक है कि मन वहाँ से हटने का नाम ही नहीं लेता।

माता भुवनेश्वरी मंदिर का इतिहास
वहाँ के पंडितों के अनुसार, 1975 में आदिशक्ति माता भुवनेश्वरी स्वयं एक तमिल पुजारी स्वामी रंगा राजन जी महाराज के सपनों में प्रकट हुईं। माता ने स्वामी जी को आदेश दिया कि:
“एक भव्य मंदिर का निर्माण वहीं होगा जहाँ एक स्वयंभू शिवलिंग हो, और उस शिवलिंग पर स्वाभाविक रूप से भगवान गणेश का मुख दिखाई देता हो।”
इन दिव्य निर्देशों का पालन करते हुए 1978 में स्वामी रंगाराजन जी ने एक छोटे से स्थान पर मंदिर का निर्माण आरंभ किया। समय के साथ यह मंदिर एक भव्य रूप में विकसित होकर आज हम सभी के सामने दिव्यता का प्रतीक बनकर खड़ा है।
स्वामी रंगाराजन जी महाराज के 2007 में निधन के बाद, 2008 में आचार्य श्री गोविंदराज जी ने मंदिर की जिम्मेदारी संभाली और इसकी परंपराओं को आगे बढ़ाया।

Bhuvaneshwari Temple – दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण
जमशेदपुर दो नदियों सुवर्णरेखा और खरकाई के बीच बसे सुंदर शहर के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसकी खूबसूरती सिर्फ उद्योगों तक सीमित नहीं है। टेल्को स्थित भुवनेश्वरी मंदिर शहर की आध्यात्मिक विरासत का शानदार नमूना है।
यह मंदिर लगभग 500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जिससे यहाँ से शहर का नजारा बेहद मनमोहक दिखता है।
– 64 फीट ऊँचा पाँच-स्तरीय राजगोपुरम
मुख्य द्वार पर बना यह भव्य टॉवर पाँच मंज़िला है और इसके ऊपर 5 कलश (Kalasams) स्थापित हैं, जो दक्षिण भारतीय शैली की अनूठी पहचान है।
– 32 फीट ऊँचा गर्भगृह
अंदर प्रवेश करते ही माता भुवनेश्वरी की भव्य मूर्ति आपके सामने विराजती है।
गर्भगृह को ऐसे बनाया गया है कि यहाँ खड़े होकर दिव्यता का एहसास भीतर तक उतर जाता है।
आठ स्तंभों वाला मंडप
यह मंडप देवी के अलग-अलग रूपों का प्रतीक है। हर स्तंभ पर की गई नक्काशी दक्षिण भारतीय कला की सुंदरता का जीता-जागता उदाहरण है।
पूजा परंपराएँ और दिव्य अनुभव
मंदिर में पूजा पूरे दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार की जाती है। यहाँ दिन में तीन बार आरती होती है। आरती के समय ढोल की ध्वनि पूरे परिसर को ऊर्जा से भर देती है। मंदिर की प्रसाद वाली खीर भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है, जिसे खाने के बाद हर कोई इसे “अमृत” जैसा बताता है।
मंदिर परिसर में क्या है?
भुवनेश्वरी मंदिर सिर्फ एक गर्भगृह तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरा प्रांगण आध्यात्मिकता से भरा हुआ है। यहाँ आपको मिलेगा—
- स्वयंभू शिवलिंग
- भगवान गणेश जी
- भगवान कृष्ण
- भगवान हनुमान
- स्वामी अयप्पा
- भगवान बालाजी
- नवग्रह देवता
- सिंह और हाथी की विशाल मूर्तियाँ
हर मूर्ति मंदिर की दिव्यता में एक नया आयाम जोड़ती है।
उँचाई से दिखने वाला मनमोहक दृश्य
चूँकि मंदिर ऊँचाई पर है, इसलिए यहाँ से टेल्को और आसपास के क्षेत्रों का दृश्य बेहद सुंदर दिखाई देता है। यह स्थान सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए भी आदर्श है।
दूर-दूर तक फैली आस्था
इतनी पुरानी मान्यता है कि:
- जो लोग शहर से बाहर भी रहते हैं, वे यहाँ मन्नतें मांगते हैं
- लोग बताते हैं कि उनकी इच्छाएँ अक्सर पूरी होती हैं
- मंदिर की दिव्यता हर भक्त को खींचकर यहाँ लाती है
यह मंदिर जमशेदपुर में आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।
महत्वपूर्ण सूचना
📵 मंदिर के भीतर मोबाइल फोन का उपयोग करना सख्त मना है।
मंदिर का पता
Bhuvaneshwari Temple
TELCO, Jamshedpur, Jharkhand
Pin: 831004
अंत में…
अगर आपने अब तक इस दिव्य मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं,
तो एक बार अवश्य जाएँ।
यह जगह आपको बाहरी दुनिया के शोर-शराबे से दूर ले जाकर
एक गहरी, शांत और दिव्य ऊर्जा से जोड़ देगी।
