जमशेदपुर स्थित रंकिणी मंदिर एक जागृत शक्तिपीठ है। यही वजह है कि साल भर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर में काली मां की पूजा की जाती है। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव, बजरंगबली, राधा-कृष्ण, भगवान श्रीराम, माता शीतला और नवग्रह सहित गणेश-कार्तिकेय की मूर्तियां स्थापित हैं। रंकिणी मंदिर ओल्ड फार्म एरिया, कदमा में स्थित है।

इतिहास
मंदिर की स्थापना कब हुई, इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है। लेकिन लोग बताते हैं कि 1907 में टाटा स्टील की स्थापना से पहले जब वर्तमान स्थान उलियान गांव के नाम से जाना जाता था, तब भी यहां माता का मंदिर झोपड़ी के रूप में स्थित था। तब यह इलाका जंगल हुआ करता था। 1927 में हलधर बाबू इस मंदिर के अध्यक्ष बने। उन्होंने ही मंदिर निर्माण की नींव रखी थी। 1948 में मंदिर समिति का गठन किया गया। रामाराव बाबू महासचिव बने और उनके साथ मूर्ति सिंह, हलधर सिंह, जयंती प्रसाद समिति के सक्रिय सदस्य बने। तभी से मंदिर का विस्तार शुरू हुआ। 14 फरवरी, 1964 को कोलकाता से लाई गई काली की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
नवीन जानकारी और आयोजन
आपको पता है कि पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय में अवस्थित रंकिणी मंदिर कदमा जागृत शक्तिपीठ है। यही वजह है कि इस मंदिर में वर्ष भर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। लोग भक्ति भाव से माता काली की पूजा करते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त कर माता की जय-जयकार करते हुए अपने-अपने धाम को जाते हैं।
मंदिर समिति के महासचिव जनार्दन पांडेय बताते हैं कि मंदिर में दोनों नवरात्र में कलश स्थापित कर माता की विधि-विधान से पूजा होती है। इसमें भक्तजन भी संकल्प स्थापित कर पूजा करते हैं। सप्तमी, अष्टमी व नवमी को श्रद्धालुओं के बीच भोग वितरण किया जाता है। अध्यक्ष दिलीप दास, सह सचिव दिलीप कुमार डे, कोषाध्यक्ष रा किशोर सिंह सहित 21 कार्यकारिणी सदस्य वर्ष भर व्यवस्था में जुटे रहते हैं।

विशेषता
पहले इस मंदिर में स्वयंभू माता रंकिणी और माता काली की मिट्टी और सीमेंट से बनी मूर्तियों के माध्यम से पूजा की जाती थी। लेकिन जब 14 फरवरी, 1964 को कोलकाता से काली की प्रतिमा लाई गई, तब से स्थापित मां रंकिणी और माता काली की पूजा विधि-विधान से होने लगी। मंदिर समिति के लोग बताते हैं कि जब यह इलाका जंगल था और मंदिर झोपड़ी के रूप में ही था, तभी ओडिशा जाने के क्रम में चैतन्य महाप्रभु आए थे और उन्होंने मंदिर में एक रात गुजारी। इसके बाद मंदिर में तीन बार कांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती भी दर्शन कर चुके हैं।
मान्यता
मान्यता है कि यहां भक्ति भाव श्रद्धापूर्वक माता के दर्शन व पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि मंदिर वर्ष भर श्रद्धालुओं-भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में शिव परिवार, बजरंगबली, राधा-कृष्ण, श्रीराम परिवार, माता शीतला और नवग्रह सहित गणेश-कार्तिकेय की प्रतिमाएं स्थापित हैं। हाल ही में मंदिर में विशाल शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा हुई। यह शिवलिंग ओडिशा के किचिंग में बने 2.5 टन वजनी ग्रेनाइट के एक ही पत्थर से निर्मित है।
कैसे पहुँचें
रंकिणी मंदिर ओल्ड फार्म, कदमा में स्थित है और स्थानीय परिवहन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब 8 किमी है। मंदिर तक रेलवे स्टेशन से ऑटो या बस के माध्यम से पहुँचा जा सकता है और शहर के मुख्य बस स्टेशन से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।
